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Indira Gandhi Shahari Rojgar Yojana 2023

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Indira Gandhi Shahari Rojgar Yojana 2023, इंदिरा गाँधी शहरी रोजगार योजना 2023 हाल ही में राजस्थान सरकार ने शहरी रोज़गार को बढ़ावा देने हेतु प्रमुख योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) की तर्ज पर इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना शुरू की है!

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इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना उद्देश्य क्या है?

इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना (Indira Gandhi Shahari Rojgar Yojana) का उद्देश्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना(मनरेगा) की तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में परिवारों को 100 दिनों का रोज़गार प्रदान करना!राजस्थान सरकार ने इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना के क्रियान्वयन के लिये 800 करोड़रुपए आवंटित किये हैं!

इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना में  किसे मिलेगा रोजगार?

इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना में 18 से 60 आयु वर्ग के लोग जो राजस्थान के किसी शहरी क्षेत्र से सम्बन्ध रखता है इस योजना के लिये पात्र हैं! और उन्हें इस योजना के अंतर्गत 100दिनों का रोजगार दिया जायेगा!

इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना में रोज़गार के अवसर किन क्षेत्रो में मिलेगा?

इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार योजना में,जल संरक्षणके क्षेत्र में, खानियों की बावड़ी में नवीनीकरण कार्य योजना जल संरक्षण कार्यों के अंतर्गत आता है!साथ ही लोगों को अन्य केंद्र या राज्य स्तर की योजनाओं में नियोजित किया जा सकता है, जिनके पास पहले से ही एक भौतिक घटक है और जिसके लिये श्रम कार्य की आवश्यकता होती है! इसके अलावा,अन्य कार्यों मे जैसे:- पर्यावरण संरक्षण- सार्वजनिक स्थानों परवृक्षारोपण और पार्कों का रखरखाव, स्वच्छता और सफाई संबंधी कार्य जैसे ठोस कचरा प्रबंधन, विरासत संरक्षण और सुरक्षा, बाड़लगाना, चारदीवारी/नगरीय निकायों और सार्वजनिक भूमि की सुरक्षा आदि से संबंधित कार्य होंगे!

अन्य राज्यों की शहरी रोजगार गारंटी योजनाएँ?

केरल:-वर्ष 2010 में शुरू की गई अय्यंकाली शहरी रोज़गार गारंटी योजना (AUEGS) का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में लोगों की आजीविका सुरक्षा को एक वित्तीय वर्ष में 100 के वेतन रोज़गार की गारंटी देकर बढ़ाना है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये स्वेच्छा से काम करते हैं!

हिमाचल प्रदेश:- मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना 2020 में शहरी क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के लिये एक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक परिवार को 120 दिनों गारंटी मज़दूरी रोज़गार प्रदान करने के लिये शुरू गई थी!

झारखंड:- मुख्यमंत्री श्रमिक योजना 2020 में झारखंड राज्य में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के लिये एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के वेतन रोज़गार की गारंटी प्रदान करके लिए शुरू की गई थी!

भारत में शहरी रोज़गार गारंटी योजनाएँ?

भारत में शहरी रोजगार “गारंटी” योजनाओं का अभाव रहा है, वर्ष 1997 में शुरू की गई स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (SJSRY) ने बेरोज़गार और अल्परोज़गार शहरी गरीबों को स्वरोज़गार तथा मज़दूरी रोज़गार के माध्यम से रोज़गार प्रदान किया जिसे वर्ष 2013 में,राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया!भारत में शहरी रोजगार योजनाओं का इतिहास रहा है, लेकिन उनमें से कोई भी रोज़गार “गारंटी योजना नहीं थी!

भारत में शहरी बेरोज़गारी दर?

अधिकांश बेरोज़गारी डेटा, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) या आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत में बेरोज़गारी दर आमतौरपर शहरी क्षेत्रों में अधिक है! अगस्त 2022 के सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आँकड़ों के अनुसार, शहरी भारत में शहरीबेरोज़गारी दर 9.57% और ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.68% है!

भारत में शहरी बेरोजगारी के कारण?

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में 535 मिलियन श्रम बल में से लगभग 398.6 मिलियन के पास खराब गुणवत्ता वाले रोज़गार हैं! इसके अलावा, लॉकडाउन ने शहरी निम्न स्तरीय अनौपचारिक नौकरियों में कमजोर रोज़गार की स्थिति को उजागर किया! कमजोर रोज़गार की विशेषता अपर्याप्त आय कम उत्पादकता और काम की कठिन परिस्थितियाँ हैं जो श्रमिकों के मूल अधिकारों को कमजोर करती हैं!

“Indira Gandhi Shahari Rojgar Yojana 2023”

ग्रामीण केंद्रित योजनाएँ:- राहत प्रदान करने वाली अधिकांश सरकारी योजनाएँ, चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य, ग्रामीण बेरोज़गारी और मनरेगा जैसी गरीबी को प्राथमिकता देती हैं! कोविड के प्रकोप के मद्देनजर गाँवों में लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिये रोज़गार और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिये, 50,000 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ, 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान शुरू किया गया था!

क्या शहरी रोजगार गारंटी योजना(UEG)मनरेगा के विस्तार के रूप में कर सकता है?

वर्तमान में भारत में, अधिकांश शहरी रोजगार गारंटी योजना(UEG)शहरी क्षेत्रों में मनरेगा का एक मात्र विस्तार प्रतीत होते हैं! हिमाचल प्रदेश, ओडिशा या केरल में शहरी रोजगार गारंटी योजना(UEG)होने के नाते, उनमें से एक सामान्य विशेषता शहरी परिवारों को वर्ष के दौरान विशिष्ट दिनों के लिए रोज़गार प्रदान करना है!हालाँकि, शहरी रोजगार गारंटी योजना(UEG)निम्नलिखित कारणों से केवल मनरेगा का विस्तार नहीं हो सकता है:-

  1. ग्रामीण बेरोज़गारी ज़्यादातर मौसमी होती हैं!
  2. खेती के चरम मौसम के दौरान, बहुत कम ग्रामीण लोग बेरोज़गार हो सकते हैं!लेकिन शहरी बेरोज़गारी में ऐसा कोई मौसम नहीं है!
  3. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं की क्षमताशहरी स्थानीय निकाय खराब वित्त पोषित हैं और उनके पास सहायता प्रदान करने की क्षमता बहुतकम हैं!
  4. सार्वजनिक कार्य में शामिल श्रम का ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्थाओं में परिदृश्य भिन्न-भिन्न है!

शहरी रोजगार गारंटी योजना(UEG)के लिए चुनौतियाँ?

राज्यों द्वारा शहरी रोजगार गारंटीयोजना (UEG) का हस्तक्षेप एक स्वागत योग्य कदम है जो शहरी निवासियों को काम करने का अधिकार देता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करता है! साथ ही, स्मार्ट सिटी मिशन और कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation AMRUT) जैसे कार्यक्रमों ने महानगरों और शहरों के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है! इसके बाद भी भारत के शहरी क्षेत्रों में आजीविका और पारिस्थितिकी में सुधार हेतु अपना ध्यान फिर से केंद्रित करना महत्त्वपूर्ण है! शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम न केवल श्रमिकों की आय में सुधार करता है बल्कि अर्थव्यवस्था पर कई गुना प्रभाव डालता है! यह छोटे शहरों में स्थानीय मांग को बढ़ावा देगा, सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और सेवाओं में सुधार करेगा, उद्यमशीलता को बढ़ावा देगा, श्रमिकों के कुशलता का निर्माण करेगा तथा सार्वजनिक वस्तुओं की साझा भावना पैदा करेगा!

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